रविवार, 23 सितंबर 2012

कोरे पन्नों पर ....



















ह्रदय   के   कोरे   पन्नों   पर,
आ  प्रिये ! हम   प्यार,  लिखें -

उगता सूरज,माणिक झरता,
तन्मय   चेतन , प्रखर  भाव ,
हंसती ,धरती के काव्य कुंज 
स्नेह ,स्निग्ध ,आभार  लिखें 

मुख मालिन्य,,चपलता खोये
मौन  पराभव,   भाव  संजोये ,
हरता  है , सुख, सौम्य स्नेह ,
प्रबल संकल्प,प्रतिकार लिखें-

आहत    मन ,  को  आरत  दें,
विनयशीलता , रग -  रग  में ,
आँखों  में ,सृजन के भाव  भरें ,
उन स्वप्नों को साकार लिखें -

बचपन  से  बचपन दूर न हो ,
यौवन ,अनंग  से मुक्त  न  हो ,
आश, प्रतीक्षा निष्फल न हो,
नव्या का  भव्य श्रृंगार लिखें-

प्रमुद     गीत     समीर     रचे ,
दुखिया-सुखिया के आँगन में,
उत्सव  उमंग हो हृदय -हृदय ,
रूठे    तो      मनुहार     लिखें-

अंक,प्रीत  का सुखद निकेतन ,
शिवालय        अराधन      का,
बजे    बंसरी ,  राग     नियारी ,
संवेदन    को    आधार   लिखें-

आकार  न  ले, तृष्णा  मानस,
निशिवासर  नेह  सुधा   बरसे,
समरस, सौम्य, धरातल धारा,
प्रज्ञा    प्रबोध   की  धार लिखें -

                           उदय वीर सिंह.

10 टिप्‍पणियां:

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ ने कहा…

वाह!
आपकी इस ख़ूबसूरत प्रविष्टि को कल दिनांक 24-09-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-1012 पर लिंक किया जा रहा है। सादर सूचनार्थ

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

अद्भुत अभिव्यक्ति, प्रणाम स्वीकारें..

Kailash Sharma ने कहा…

आकार न ले, तृष्णा मानस,
निशिवासर नेह सुधा बरसे,
समरस, सौम्य, धरातल धारा,
प्रज्ञा प्रबोध की धार लिखें -

...बहुत खूब! सकारात्मक सोच लिये बहुत सुन्दर रचना..बधाई

रचना दीक्षित ने कहा…

आकार न ले, तृष्णा मानस,
निशिवासर नेह सुधा बरसे,
समरस, सौम्य, धरातल धारा,
प्रज्ञा प्रबोध की धार लिखें -

सुंदर शब्द सयोजन. मनोभावों की सुंदर अभिव्यक्ति करती सुंदर प्रस्तुति.

बधाई स्वीकारें.

रविकर ने कहा…

खुबसूरत रचना |
बधाई स्वीकारें |

virendra sharma ने कहा…


बचपन से बचपन दूर न हो ,
यौवन ,अनंग से मुक्त न हो ,
आश, प्रतीक्षा निष्फल न हो,
नव्या का भव्य श्रृंगार लिखें-

ओज के सकारात्मक सोच की तमाम रचनाएं हैं आपकी अकसर पढ़ीं हैं .आभार और आपकी लेखनी को प्रणाम .

virendra sharma ने कहा…

बेहतरीन पोस्ट साझा की है आपने .शुक्रिया .

अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) ने कहा…

उगता सूरज,माणिक झरता,
तन्मय चेतन , प्रखर भाव ,
हंसती ,धरती के काव्य कुंज
स्नेह ,स्निग्ध ,आभार लिखें

*********************
ओज संचारित हुआ है,
घोष उच्चारित हुआ है,
प्रखर भावों से निखर कर
शब्द संस्कारित हुआ है.

udaya veer singh ने कहा…

आभार स्नेही ,सुधी ,प्रबुद्ध -जनों ! आपके विशाल हृदय ,व उद्दात, मानस -प्रांशु से प्रवाहित आशीष का , जो अनुप्राणित करता है सृजन व सरोकार के लिए....
" कृतघ्नता न घर करे ,इतना संज्ञान देना ,
हों कभी विचलित ,संभलने का पयाम देना-"

Smart Indian ने कहा…

बहुत खूब! मन प्रसन्न हुआ!