ह्रदय के कोरे पन्नों पर,
आ प्रिये ! हम प्यार, लिखें -
उगता सूरज,माणिक झरता,
तन्मय चेतन , प्रखर भाव ,
हंसती ,धरती के काव्य कुंज
स्नेह ,स्निग्ध ,आभार लिखें
मुख मालिन्य,,चपलता खोये
मौन पराभव, भाव संजोये ,
हरता है , सुख, सौम्य स्नेह ,
प्रबल संकल्प,प्रतिकार लिखें-
आहत मन , को आरत दें,
विनयशीलता , रग - रग में ,
आँखों में ,सृजन के भाव भरें ,
उन स्वप्नों को साकार लिखें -
बचपन से बचपन दूर न हो ,
यौवन ,अनंग से मुक्त न हो ,
आश, प्रतीक्षा निष्फल न हो,
नव्या का भव्य श्रृंगार लिखें-
प्रमुद गीत समीर रचे ,
दुखिया-सुखिया के आँगन में,
उत्सव उमंग हो हृदय -हृदय ,
रूठे तो मनुहार लिखें-
अंक,प्रीत का सुखद निकेतन ,
शिवालय अराधन का,
बजे बंसरी , राग नियारी ,
संवेदन को आधार लिखें-
आकार न ले, तृष्णा मानस,
निशिवासर नेह सुधा बरसे,
समरस, सौम्य, धरातल धारा,
प्रज्ञा प्रबोध की धार लिखें -
उदय वीर सिंह.
10 टिप्पणियां:
वाह!
आपकी इस ख़ूबसूरत प्रविष्टि को कल दिनांक 24-09-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-1012 पर लिंक किया जा रहा है। सादर सूचनार्थ
अद्भुत अभिव्यक्ति, प्रणाम स्वीकारें..
आकार न ले, तृष्णा मानस,
निशिवासर नेह सुधा बरसे,
समरस, सौम्य, धरातल धारा,
प्रज्ञा प्रबोध की धार लिखें -
...बहुत खूब! सकारात्मक सोच लिये बहुत सुन्दर रचना..बधाई
आकार न ले, तृष्णा मानस,
निशिवासर नेह सुधा बरसे,
समरस, सौम्य, धरातल धारा,
प्रज्ञा प्रबोध की धार लिखें -
सुंदर शब्द सयोजन. मनोभावों की सुंदर अभिव्यक्ति करती सुंदर प्रस्तुति.
बधाई स्वीकारें.
खुबसूरत रचना |
बधाई स्वीकारें |
बचपन से बचपन दूर न हो ,
यौवन ,अनंग से मुक्त न हो ,
आश, प्रतीक्षा निष्फल न हो,
नव्या का भव्य श्रृंगार लिखें-
ओज के सकारात्मक सोच की तमाम रचनाएं हैं आपकी अकसर पढ़ीं हैं .आभार और आपकी लेखनी को प्रणाम .
बेहतरीन पोस्ट साझा की है आपने .शुक्रिया .
उगता सूरज,माणिक झरता,
तन्मय चेतन , प्रखर भाव ,
हंसती ,धरती के काव्य कुंज
स्नेह ,स्निग्ध ,आभार लिखें
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ओज संचारित हुआ है,
घोष उच्चारित हुआ है,
प्रखर भावों से निखर कर
शब्द संस्कारित हुआ है.
आभार स्नेही ,सुधी ,प्रबुद्ध -जनों ! आपके विशाल हृदय ,व उद्दात, मानस -प्रांशु से प्रवाहित आशीष का , जो अनुप्राणित करता है सृजन व सरोकार के लिए....
" कृतघ्नता न घर करे ,इतना संज्ञान देना ,
हों कभी विचलित ,संभलने का पयाम देना-"
बहुत खूब! मन प्रसन्न हुआ!
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