बुधवार, 12 सितंबर 2012

छुप - छुप कर......






छुप -छुप    कर   उन्हें  देख   लेना 

इरादा    बयां      कर       रहा    है 

हवाओं    का    रुख    भी   नरम है 
खुशुबू     को     हवा    दे    रहा   है -

कभी     इनकार ,   इसरार    में  है ,
उलफ़त     का    पता    दे   रहा  है -

हर   फ़न   में  मुहब्बत  ही  क्यों है ,
दुश्मनों    को    सजा    दे   रहा   है-

 क़यामत    तक   कायम    रहे   वो ,
 दिल  एक दिल से वफ़ा कर  रहा है-


 हर  मुमताज को ताज मिलता रहे 
 संगदिल    भी  दुआ   कर   रहा   है- 

                          उदय वीर सिंह   
















 

5 टिप्‍पणियां:

Anupama Tripathi ने कहा…

bahut sundar bhav ...
shubhkamnayen ..

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

हर मुमताज को ताज मिलता रहे
संगदिल भी दुआ कर रहा है,,,,,,,

बहुत बेहतरीन नज्म बधाई उदयवीर जी ,,,

RECENT POST -मेरे सपनो का भारत

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

:):) बहुत खूब

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

बेहतरीन रचना, कोमल भावों की..

virendra sharma ने कहा…


हर मुमताज को ताज मिलता रहे
संगदिल भी दुआ कर रहा है-

बहुर सुन्दर रचना है ,हर शैर उम्दा काबिले दाद है .
ram ram bhai
बृहस्पतिवार, 13 सितम्बर 2012
हाँ !यह भारत है