छुप -छुप कर उन्हें देख लेना
इरादा बयां कर रहा है
हवाओं का रुख भी नरम है
खुशुबू को हवा दे रहा है -
कभी इनकार , इसरार में है ,
उलफ़त का पता दे रहा है -
हर फ़न में मुहब्बत ही क्यों है ,
दुश्मनों को सजा दे रहा है-
क़यामत तक कायम रहे वो ,
दिल एक दिल से वफ़ा कर रहा है-
हर मुमताज को ताज मिलता रहे
संगदिल भी दुआ कर रहा है-
उदय वीर सिंह
5 टिप्पणियां:
bahut sundar bhav ...
shubhkamnayen ..
हर मुमताज को ताज मिलता रहे
संगदिल भी दुआ कर रहा है,,,,,,,
बहुत बेहतरीन नज्म बधाई उदयवीर जी ,,,
RECENT POST -मेरे सपनो का भारत
:):) बहुत खूब
बेहतरीन रचना, कोमल भावों की..
हर मुमताज को ताज मिलता रहे
संगदिल भी दुआ कर रहा है-
बहुर सुन्दर रचना है ,हर शैर उम्दा काबिले दाद है .
ram ram bhai
बृहस्पतिवार, 13 सितम्बर 2012
हाँ !यह भारत है
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