लिखने वालों ने शमशान को शहर,प्यार को
अदावत तो, अमृत को, जहर लिखा-
फूल को पत्थर , कभी नस्तर लिखा
शाम को सवेरा , प्रभात का प्रहर लिखा -
जब समां रहा था सूरज ,शाम की गोंद में,
खुबसूरत प्रभात का , शहर लिखा -
नज्म को हारी हुयी बाजी, कभी
कलम को , बिष बुझा खंजर लिखा-
इबादतखाने को दोजख ,साकी को अदब
महफिलों को हयात ,जाम को रहबर लिखा,
मुद्दतों से बीरान रौशनी गाफ़िल,खंडहर को
महफिलें रंगीन करता, नायाब घर लिखा-
हैरान हैं आँखे पढ़ कर ,जो देख न सकीं ,
खुदा भी वाकिफ नहीं जिससे वो मंजर लिखा -
उदय वीर सिंह
30/09/2012
3 टिप्पणियां:
प्यारा लिखा, गजब लिखा।
बहुत सुन्दर रचना..
ਬਹੁਤ ਹੀ ਵਧੀਆ ਰਚਨਾ !
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