रविवार, 21 अक्तूबर 2012

फ़ानी आप हैं



















फ़ानी आप हैं-

जिंदगी  का  सफ़र  ये  नया  तो  नहीं
दामन      पुराना,    नए      आप    हैं-

हर   हाल   में ,   हर   जगह   जिंदगी ,
ये  मसला   अलग  कि, कहाँ  आप हैं-

कब मेहरबान ,किससे  गाफिल हुयी,
आप  से  क्या  हई,  बा-ख़बर आप हैं-

उल्फत का दामन, इतना जर्जर हुआ
फिर भी जिद है कि पकडे हुए आप हैं -

फैसले   उसके    होते   रहे    अलहदे
जज्बा  इतना, मुतासिर  हुए  आप हैं -

कभी   आना   बताएँगे   तफसील से,
वो    ग़ालिब    रही , फ़ानी    आप  हैं-

दो  कदम  न चली इल्तजा जब  रही ,
अपने साये का संग,हमसफ़र आप हैं 


                                         -उदय वीर सिंह








1 टिप्पणी:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

सभी आप पर निर्भर हैं,
हम बस भोले शंकर है।