मंगलवार, 30 अक्तूबर 2012

निःशब्द हूँ , मां हूँ .....


माम !
मुझे इतनी सी, प्यार  से
एक बात बताना
कान में ....
क्यों करती हो
इतना प्यार ?
कोई इतना भी प्यारा
क्यों लगता है ....?
कोई इतना भी प्यार करता है क्या ?
शर्दियों में चादर ,
तूफान में दीवार ,
संकट में निहारिका ,
शून्यता  में इतना साहस कोई देता है क्या ? 
मेरी भूख ,प्यास ,मेरी राह,
सब क्यों पता है तुमको ,
मेरे अवसान का ख्याल ,
भी सहन नहीं तुम्हें,
द्रोही की छाया  तो दूर ,
आहट भी पसंद नहीं
कर देती हो न्योछावर सर्वस्व
अपना प्यार भी .....l
शब्दों में न बांध मुझे,
मेरे अंश !
निःशब्द हूँ
बस मां हूँ .....

                      -   उदय वीर सिंह

3 टिप्‍पणियां:

रविकर ने कहा…

उत्कृष्ट कृति पढने को मिली |
आभार ||

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

भाव टपकते माँ नयनन से..

संगीता पुरी ने कहा…

सुंदर सटीक ..