बुधवार, 7 नवंबर 2012

स्नेह लिखना.....




हृदय  के  आँगन, नुपुर  खनकते
उनके    स्वर   का  स्नेह लिखना-
भरे    नेत्र ,  आतुर    झरने    को
स्मृतियों     के      नेह     लिखना-

हर   कली   का,   ख्वाब  खिलना ,
मधुपों   का , मद   गीत,   सुन्दर ,
अप्रतिम  प्रतिक , उपमा वांछित
मधुर     भाव  ,  रमणीक    प्रवर-

भर   आये    ऑंखें    सृजने   जब,
भरे     ह्रदय     की   पीर  लिखना-

उर  -  कोष्ठ , निषेचित   करते हैं ,
निश्छल      भाव      स्पंदन   को ,
विपुल  राशि  ,  लावण्य   माधुरी
अभिसरित  रही अभिनन्दन को-

कर  जाये व्यतिरेक  विकल जब
विस्वास    भरा   आदेश  लिखना-      

छू     रही     हो ,  पवन    कंटीली ,
चंदन  -    तन ,    अंतर्मन      को
उच्च -प्राचीर   निर्मित  कर लेना
अशुभ ,त्याज्य , अतिरंजन   को-

पीर     पहाड़   सी , ढ़ो   न सकेंगे,
झर-निर्झर        की  टोह   रखना-

                                  उदय वीर सिंह  
   

6 टिप्‍पणियां:

Rohitas Ghorela ने कहा…

वाह वाह ... बहुत सुन्दर पंक्तियाँ साँझा करने के लिए बहुत बहुत आभार उदय वीर सिंह जी

आपके ब्लॉग पर आकर काफी अच्छा लगा।मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत हैं।अगर आपको अच्छा लगे तो मेरे ब्लॉग से भी जुड़ें।धन्यवाद !!

http://rohitasghorela.blogspot.in/2012/11/blog-post_6.html

Rohitas Ghorela ने कहा…

वाह वाह ... बहुत सुन्दर पंक्तियाँ साँझा करने के लिए बहुत बहुत आभार उदय वीर सिंह जी

आपके ब्लॉग पर आकर काफी अच्छा लगा।मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत हैं।अगर आपको अच्छा लगे तो मेरे ब्लॉग से भी जुड़ें।धन्यवाद !!

http://rohitasghorela.blogspot.in/2012/11/blog-post_6.html

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

स्मृतियों में नेह भरा हो,
शेष रहें पर मन न गहें।

Rajput ने कहा…

पीर पहाड़ सी , ढ़ो न सकेंगे,
झर-निर्झर की टोह रखना..
बहुत ही मनमोहक रचना , आभार

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

बहुत ही उम्दा अभिव्यक्ति ,,,,,एक अच्छी रचना,,,,

RECENT POST:..........सागर

Rajesh Kumari ने कहा…

बहुत सुन्दर इस उत्कृष्ट प्रस्तुति के लिए बधाई