हम पर फ़िदा है सदा -ए- मोहब्बत
की है इबादत हम करते रहेंगे-
हवाओं के आंचल लिखी दास्तान है
हमने लिखा है ,फिर भी लिखेंगे -
बरक -ए-मोहब्बत किताबें बनेंगीं ,
पढ़ा हर किसी ने हम भी पढेंगें -
इस पार तुम हो, मोहब्बत है मेरी,
उस पर क्या है नहीं हमको मालूम -
मौजों के ऊपर लिखे फलसफे हैं
लिखा है रब ने हम पढ़ते रहेंगें-
निगाहों में क्या है जो देखो तो जानों ,
तुम्ही तुम बसे हो बयां अक्स करते -
फूलों के हाथों में मेहदी रची है
उन फूलों को आंचल में भरते रहेंगे -
- उदय वीर सिंह
6 टिप्पणियां:
हिल मिल जुल कर जश्न मन रहा,
कुदरत का श्रंगार सज रहा।
निगाहों में क्या है जो देखो तो जानों ,
तुम्ही तुम बसे हो बयां अक्स करते -
फूलों के हाथों में मेहदी रची है
उन फूलों को आंचल में भरते रहेंगे -
वाह ... बहुत ही बढिया।
फूलों के हाथों में मेहदी रची है
उन फूलों को आंचल में भरते रहेंगे -
बहुत अच्छी रचना है .....इन शब्दों से कुछ ऐसा भी बयाँ किया जा सकता है
फूलों के हाथों
खूब मेहदी रची
खिला आँचल
हरदीप
बेहरतरीन ग़ज़ल निगाहों में क्या है जो देखो तो जानों ,
तुम्ही तुम बसे हो बयां अक्स करते -
फूलों के हाथों में मेहदी रची है
उन फूलों को आंचल में भरते रहेंगे -
स्याहे- रौशन सुबहो एक कलाम लिख गई..,
शोख अबरू के दरम्याँ शफक शाम लिख गई.....
वाह...
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