लेजा अपना चाँद,
दे जा मेरा अँधेरा .....
कम से कम नजर
नहीं आएगा वो चेहरा ...
जो हमसाया
मेरीदुनियां का
सरमाया था...|
जिसमें लगे दाग
मैं ही नहीं ,
देख रही है पूरी कायनात ,
बयान करते हैं
उसकी बेशर्मी बेवफाई ,दरिंदगी
आखिर तो वो,
कहीं से पाया था ......|
दे जा मेरे ख्वाब ,
तोड़ने के लिए,
जिसे मैंने सजाया था ,
जो कभी मेरा सरमाया था ....|
-उदय वीर सिंह
4 टिप्पणियां:
सुन्दर भाव....अच्छी रचना...
सादर
अनु
रात पूरी घनी और काली है, कोई दाग नहीं।
दे जा मेरे ख्वाब ,
तोड़ने के लिए,
जिसे मैंने सजाया था ,
जो कभी मेरा सरमाया था,,,
बहुत ही सुंदर भावों की प्रस्तुति,,,,
--------------------------
recent post : नववर्ष की बधाई
सुन्दर भावों को समेटे खूबसूरत प्रस्तुति बधाई
एक टिप्पणी भेजें