बुधवार, 2 जनवरी 2013

दिल में आग क्यों है ......


आज सर्द  दिल में  आग क्यों है ,
जो गुनाहगार था बेदाग क्यों है
गर्व  के  माथे  पर  बिंदिया  थी,
बेशर्मी  का काला दाग  क्यों  है -

उजाड़ा घर, हँसता  हुआ  चमन
उसकी  दुनियां  आबाद  क्यों है,
लगायी पूंजी इंसानियत के हाट
दुनियां  उसकी  बर्बाद   क्यों  है-

होते   थे   सुर्ख   गुलाब  के  फूल
आस्तीन  में  काला नाग क्यों है
जिस चेहरे  का  नूर, आईना था
आज  उस   पर   नकाब  क्यों  है-

देखा नहीं दर्दो यतीम की दुनियां
हमनावाजी  का  ख़िताब क्यों है ,
नींद  न  आई  हो मुद्दतों से उदय
उन   आँखों   में   ख्वाब   क्यों  है -


                            -उदय वीर सिंह 



 


2 टिप्‍पणियां:

Anju (Anu) Chaudhary ने कहा…

पर अभी भी एक ख्याब अधूरा सा क्यों है

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

खून का उबाल है,
मत कहो बवाल है।