आज सर्द दिल में आग क्यों है ,
जो गुनाहगार था बेदाग क्यों है
गर्व के माथे पर बिंदिया थी,
बेशर्मी का काला दाग क्यों है -
उसकी दुनियां आबाद क्यों है,
लगायी पूंजी इंसानियत के हाट
दुनियां उसकी बर्बाद क्यों है-
होते थे सुर्ख गुलाब के फूल
आस्तीन में काला नाग क्यों है
जिस चेहरे का नूर, आईना था
आज उस पर नकाब क्यों है-
देखा नहीं दर्दो यतीम की दुनियां
हमनावाजी का ख़िताब क्यों है ,
नींद न आई हो मुद्दतों से उदय
उन आँखों में ख्वाब क्यों है -
-उदय वीर सिंह
2 टिप्पणियां:
पर अभी भी एक ख्याब अधूरा सा क्यों है
खून का उबाल है,
मत कहो बवाल है।
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