वाहे गुरु जी दा खालसा,
वाहे गुरु जी दी फ़तेह .. |
दसवें सिक्ख गुरु , श्री गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज के पावन प्रकाश पर्व पर समस्त पृथ्वी वासियों को लख-लख बधाईयाँ ,स्नेह व सत्कार ...... |
वाह! वाह! गोबिंद सिंह ,आपे गुरु चेला ...
जोर जुल्म की दुनियां का विनासक ,मानुष की जाति सब एकै पछानाबो, का वाचक .देश धर्म के निहितार्थ सर्वस्व न्योछावर करने वाला ,'शहंशाहों का शहंशाह ,
तेरे भाणे सरबत दा भला' का भाव बख्सने वाला अप्रतिम बलिदान को संचरित करनेवाला, कलगीधर पातसाह यूँ आह्वाहन करते हैं -
"जो तो प्रेम खेलन का चावो,
सिर धर तली गली मेरे आवो "
जे मार्ग पैर धरीजै, शीश दीजै कान न कीजै -
बोले सो निहाल ,सत श्री अकाल......
आपजी की शान में मैं याचक! कुछ दे नहीं सकता सिवा मांगने के | दाते ! मुझ दास को अपनी दात बख्सना,तेरी राह में अडोल रहूँ .....
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पीर मेरे , तेरे दर पे दाखिल हुआ
अपने घर का मुझे, आसरा दीजिये -
मौत को जिंदगी का सफ़र दे दिया ,
मेरे मालिक मुझे भी दया दीजिये -
दात बरसी कि उजड़ा चमन बस गया ,
मुसाफिर हूँ भूला , रास्ता दीजिये -
तेरे पाहुल को तरसे हैं कितने जनम
मुकद्दर में जिसको था पाया वही -
तेरे कदमों में बसती है दुनियां मेरी
गिरा हूँ शरण में उठा लीजिये -
- उदय वीर सिंह
4 टिप्पणियां:
जो बोले सो निहाल, सत श्रीअकाल..
आपजी की शान में मैं याचक! कुछ दे नहीं सकता सिवा मांगने के | दाते ! मुझ दास को अपनी दात बख्सना,तेरी राह में अडोल रहूँ ..... kitni achchi baat kahi......
आपको भी लख-लख बधाईयाँ ...
बहुत सुन्दर शब्दांजलि अर्पित की है आपने....
सुन्दर पोस्ट....
प्रकाश पर्व पर आपको भी ढेर सारी बधाइयां....
सादर
अनु
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