मंगलवार, 15 जनवरी 2013

बात करता है .....|


बात करता है -

मांगता है दुआ अपने लिए 
दूसरों को बद्दुआयें खैरात करता है -
जलता है शोलों की तरह दिल जिसका 
शबनमी शुरुआत करता है- 
जलाया न कभी अमन का दीया घर में,
मजलिस में रौशनी इफरात रखता है-
मगरूर इतना है  सुनामी  की तरह
आबाद चमन को बर्बाद करता है - 
एक दिन पूछ लिया उससे अमन का रास्ता ,
हँस कर कहा बावले !
किसकी बात करता है -
सीख जीने का दस्तूर हूजुर ! 
हरिश्चन्द्र ,धर्मात्मा मरते हैं भूखे, 
जा पकड़ अपनी राह!
क्यूँ दिन ख़राब  करता है -
बात करता है .....|

                      उदय वीर सिंह 


                 


                     

                                 


  

  

5 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

आदर्शों का मरुथल फैला,
प्यासे पंछी घूम रहे हैं।

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

बहुत सुंदर उम्दा अभिव्यक्ति,,,

recent post: मातृभूमि,

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

सटीक .... बहुत सुंदर

Madan Mohan Saxena ने कहा…

आदर्शों का मरुथल फैला,
प्यासे पंछी घूम रहे हैं।

सुंदर. उम्दा अभिव्यक्ति

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

बहुत ही सुन्दर मन से लिखी सुन्दर कविता |आभार भाई उदयवीर जी |