[महिला दिवस ]
तू ,
गीत ,संगीत
सृजन की मीत,
रचना की भीत ,प्रीत की रीत
संसकारों की शाला,प्रेरणास्रोत
दया की प्रतिमूर्ति, ममता की
पाठशाला ....
साहस की समन्वायिका
तेरे आँचल में डोडी ,नन्हीं उंगलियाँ
पुष्पित ,पल्लवित आकार लेते हैं
महकते हैं संवेदनाओं के द्वार
खोलने को एक नया
संसार...सृजने !
तू आधारशिला है
निर्माण की .....|
- उदय वीर सिंह .
3 टिप्पणियां:
निश्चय ही, शब्दशः सहमत।
महिला दिवस पर महिलाओं के सम्मान में सुंदर रचना,,,, बहुत उम्दा प्रस्तुति,,,बधाई,
Recent post: रंग गुलाल है यारो,
वाह... उम्दा, बेहतरीन अभिव्यक्ति...बहुत बहुत बधाई...
एक टिप्पणी भेजें