आई बैसाखी दिल में कितने उजाले हैं,
सौगात लायी है , हम सौगात वाले है-
मेहनत , पसीना बनके आया सफीना है ,
खेत मेरे काशी - काबा फसलें मदीना है
फसल बोई प्यार की प्यार के निवाले हैं -
साजी नवाजी अपनी मजबूत किश्ती है
भंवर जो मिली तो साथ साहिल हमारे है -
बैसाखी में खालसा को अमृत नवाजा था
बलिदानियों से शीश रक्षा में माँगा था
उसकी तपस्या से हम आज भारत वाले हैं -
दिल मत तोड़ना , दैन्यता को तोड़ना ,
जरुरत पड़ी तो धार गंगा की मोड़ना
विषमता में जीत की हमारी मिसालें हैं -
- उदय वीर सिंह
8 टिप्पणियां:
हर विषमता में स्थिर खड़े रहना कार्य हमारा।
बहुत उम्दा प्रस्तुति,आभार उदय जी,,,
बैसाखी की बहुत२ बधाई और शुभकामनाए,,,
Recent Post : अमन के लिए.
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज रविवार (14-04-2013) के जय माँ शारदा : चर्चा मंच 1214 (मयंक का कोना) पर भी होगी!
अम्बेदकर जयन्ती, बैशाखी और नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ!
सूचनार्थ...सादर!
बहुत सुन्दर....बेहतरीन प्रस्तुति
पधारें "आँसुओं के मोती"
बैसाखी पर सुंदर रचना
सादर
''माँ वैष्णो देवी ''
बहुत ही सुन्दर बेहतरीन प्रस्तुति,आभार.
अरे वाह! बहुत ख़ूब
और यह भी!
केतना हमे सतइबू हमार सजनी!
बधाई हो!
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