रविवार, 14 अप्रैल 2013

आई बैसाखी





आई   बैसाखी  दिल  में  कितने  उजाले  हैं,

सौगात   लायी   है ,  हम  सौगात   वाले  है-

मेहनत , पसीना   बनके  आया  सफीना है ,
खेत  मेरे  काशी - काबा  फसलें   मदीना है      
फसल  बोई  प्यार  की  प्यार के निवाले हैं -

दौलत  व सोहरत  शान दाते  ने  बख्सी है
साजी  नवाजी  अपनी  मजबूत किश्ती है
भंवर  जो मिली तो साथ साहिल  हमारे है -

बैसाखी  में  खालसा को अमृत नवाजा था

बलिदानियों  से  शीश   रक्षा  में माँगा  था
उसकी तपस्या से हम आज भारत वाले हैं -

दिल  मत   तोड़ना  , दैन्यता   को  तोड़ना ,

जरुरत   पड़ी   तो   धार  गंगा  की  मोड़ना 
विषमता  में  जीत  की  हमारी  मिसालें हैं -

                                        -  उदय वीर सिंह 








 





8 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

हर विषमता में स्थिर खड़े रहना कार्य हमारा।

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

बहुत उम्दा प्रस्तुति,आभार उदय जी,,,
बैसाखी की बहुत२ बधाई और शुभकामनाए,,,
Recent Post : अमन के लिए.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज रविवार (14-04-2013) के जय माँ शारदा : चर्चा मंच 1214 (मयंक का कोना) पर भी होगी!
अम्बेदकर जयन्ती, बैशाखी और नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ!
सूचनार्थ...सादर!

Pratibha Verma ने कहा…


बहुत सुन्दर....बेहतरीन प्रस्तुति
पधारें "आँसुओं के मोती"

Guzarish ने कहा…

बैसाखी पर सुंदर रचना
सादर
''माँ वैष्णो देवी ''

Rajendra kumar ने कहा…

बहुत ही सुन्दर बेहतरीन प्रस्तुति,आभार.

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ ने कहा…

अरे वाह! बहुत ख़ूब

और यह भी!

केतना हमे सतइबू हमार सजनी!

Smart Indian ने कहा…

बधाई हो!