रविवार, 12 मई 2013

माँ तुझे प्रणाम !









नशे में  नाजनीं, महफ़िल  में  शोहरत
नाकामयाबी  में   दगाबाजी  याद आई 
याद आये और भी बहुत जब दौलत थी
दर्दे मुफलिशी में याद आई तो माँ आई-

उसके न रहने पर भी रूह कहती है माँ !
जुबां  पर   आवाज  आई  तो  माँ  आई- 
एक  ठोकर  भी लगा  माँ  को  बुलाते हैं 
अपने लाल  को उठाने आई तो माँ आई -

जब ज़माने ने पूछा तेरी पहचान क्या है 
ये मेरा बेटा  है ,शिनाख्त करने माँ आई
जन्नत भी पनाह में है माँ के कदमों की 
जिंदगी  की  सौगात, लायी तो माँ लायी- 

हिस्सेदार  थे  सभी  उसकी   उल्फत  के 
खामोश शब-ए-गम को तन्हा सहती रही
बेख़ौफ़ थी  वो  तीरगी  और  तूफानों  से 
लेकर  हाथो में  मशाल  आई तो माँ आई-   

                                  -
  उदय वीर सिंह   





  





6 टिप्‍पणियां:

अरुन अनन्त ने कहा…

आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज रविवार (12-05-2013) के चर्चा मंच 1235 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ

Dr.NISHA MAHARANA ने कहा…

ma ....ma ke siva kuchh nahi ....ak shabd men sari duniya samaai hai ....

संध्या शर्मा ने कहा…

माँ तुझे नमन...बहुत सुन्दर ... .मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ...

कविता रावत ने कहा…

सुन्दर सामयिक प्रस्तुति ...
मातृ दिवस की शुभकामनायें ..

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

माँ को नमन, सुन्दर रचना।

अज़ीज़ जौनपुरी ने कहा…

मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ नमन नमन