धुंधली सी,
दिखती है तस्वीर ,
जितना पोंछती है आँचल से
गीली हो जाती है ,
आंसूओं से बार- बार ...|
चश्मा लाने गए बेटे की
कई दिन से प्रतीक्षा में ,
पथरायी आँखों
वीरान सुनसान रास्तों
की ओर ....|
नहीं आया है ....|
बहू कहती है -
अम्मा !
नजर कमजोर हो गयी है |
अच्छा ही है |
देखने को रह गया है ....
उजड़ी बस्तियां ,खँडहर
शैलाब ,शव ,कांपते पहाड़ ....
बहू की सूनी मांग
ह्रदय में रहने वाला
अब फ्रेम में समा गया है
छा गया है
अंतहीन अंधकार
जिसमे अब
चश्में की
जरुरत नहीं होगी ......|
-- उदय वीर सिंह
दिखती है तस्वीर ,
जितना पोंछती है आँचल से
गीली हो जाती है ,
आंसूओं से बार- बार ...|
चश्मा लाने गए बेटे की
कई दिन से प्रतीक्षा में ,
पथरायी आँखों
टूटे हुए मकान की खिडकियों से
देखती है, वीरान सुनसान रास्तों
की ओर ....|
नहीं आया है ....|
बहू कहती है -
अम्मा !
नजर कमजोर हो गयी है |
अच्छा ही है |
देखने को रह गया है ....
उजड़ी बस्तियां ,खँडहर
शैलाब ,शव ,कांपते पहाड़ ....
बहू की सूनी मांग
ह्रदय में रहने वाला
अब फ्रेम में समा गया है
छा गया है
अंतहीन अंधकार
जिसमे अब
चश्में की
जरुरत नहीं होगी ......|
-- उदय वीर सिंह
10 टिप्पणियां:
त्रासदी सब हर ले गयी, राह तकें तो किसकी हम?
झकझोरती हकीकत -
बहुत मार्मिक ...
सुंदर सृजन,उम्दा प्रस्तुति,,,
RECENT POST: जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें.
सुंदर सृजन,उम्दा प्रस्तुति,,,
RECENT POST: जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें.
मन को छू गई
बहुत सुंदर
चश्मे को शब्दों में सजाना भा गया.......
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन मिलिये ओम बना और उनकी बुलेट से - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
आपके शब्दों में संवेदनशील ह्रदय की 'कराह' चीत्कार बन गई है। जबरदस्त ... उदयजी .
आपके शब्दों में संवेदनशील ह्रदय की 'कराह' चीत्कार बन गई है। जबरदस्त ... उदयजी .
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