शनिवार, 27 जुलाई 2013

गुलाब में रखा -


अपनी हसरतों  को  जनाब
 किसी   ने  ख्वाब  में  रखा -
भूल   जाने     का    डर  था 
किसी  ने  किताब  में   रखा -
रहे  करीब  इतना  रगों   में
किसी   ने  शराब   में   रखा -
लग  जाये  न  नजर ज़माने
की किसी ने हिजाब में रखा-
हुस्नो-इत्र की कायनात देकर
गुल ,किसी ने गुलाब में  रखा -
मांगी  सिजदे  में  रहमतों की
दुआ कुबूल  फरियाद में रखा -
छू न पायें रेगिस्तान की गर्मियां
सतलज  कभी चिनाब में रखा -
छीन  लेगा  कोई बेदर्द जालिम
यूपी   किसी  ने पंजाब में रखा -

                                   उदय वीर सिंह

2 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

हर जगह आधारित करते हैं हम अपने भाव, अपने मन में झाँक लें..
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ..

महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा…

बढिया, सुंदर