किसी ने ख्वाब में रखा -
भूल जाने का डर था
किसी ने किताब में रखा -
रहे करीब इतना रगों में
किसी ने शराब में रखा -
लग जाये न नजर ज़माने
की किसी ने हिजाब में रखा-
हुस्नो-इत्र की कायनात देकर
गुल ,किसी ने गुलाब में रखा -
मांगी सिजदे में रहमतों की
दुआ कुबूल फरियाद में रखा -
छू न पायें रेगिस्तान की गर्मियां
सतलज कभी चिनाब में रखा -
छीन लेगा कोई बेदर्द जालिम
यूपी किसी ने पंजाब में रखा -
उदय वीर सिंह
2 टिप्पणियां:
हर जगह आधारित करते हैं हम अपने भाव, अपने मन में झाँक लें..
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ..
बढिया, सुंदर
एक टिप्पणी भेजें