बदला तो क्या बदला , मेरे देश
न सवाली बदला न सवाल बदला -खड़ा है आज भी चौराहे पर लिए बोझ
लाश बदली न विक्रम बैताल बदला-
हुकूमत बदली , निज़ाम बदला
तख़्त बदला ,सारा इंतजाम बदला
लालकिले की प्राचीर से जज्बाती
सरेआम हुकुमती फरमान बदला-
बदला तो और भी बहुत कुछ मितरां
खबर आई की हिंदुस्तान बदला -
न खेत बदला न खलिहान बदला
न धरती बदली न आसमान बदला -
उम्मीदों पर जी रहा था कल जो
आज भी मजदूर न किसान बदला -
बदला तो और भी बहुत कुछ मितरां
खबर आई की हिंदुस्तान बदला -
सूनी निगाहें बेचने को तन , ईमान
पेड़ों की छाँव में बितता लाचार जीवन
क्या फर्क उन्हें जानवर कहें या इनसान -
रोज खोदते रहे कुंवां बुझाते रहे प्यास
उनकी न शाम बदली न बिहान बदला -
बदला तो और भी बहुत कुछ मितरां
खबर आई की हिंदुस्तान बदला -
हम आजाद हैं तख्तियां सीने पर
हाथों में तिरंगा लगा की इन्सान बदला
मुद्दतों से खड़ी अभिशप्त दीवारें टूटेंगी
आश जागी, देश का संविधान बदला -
रहे मुगालते में अब किस्मत बदलेगी
बदला पर नुमायिन्दों का बयान बदला
बदला तो और भी बहुत कुछ मितरां
खबर आई की हिंदुस्तान बदला -
आज भी मुकद्दर लिखता है दलाल
किसान के गले फांसी, आढ़तिया के हार
न हुयी पैदावार तो भूखा सो लेता है
हुई तो भी अभिशप्त ,नहीं हैं खरीददार-
लोग भूखे मरते रहे सड़ गया अन्न
मुनाफ़ाखोर बदले न उनका मुकाम बदला -
बदला तो और भी बहुत कुछ
खबर आई की हिंदुस्तान बदला -
मासूम जगाता है उठ अब मत सो मां -
माँ तो हो गयी अभिशप्त जीवन से मुक्त
पूछता सवाल,बताओ क्यों रूठी है मां -
अभिशप्त जीवन का दंश झेलता हिंदुस्तान
बदल गयी दुकान पर न सामान बदला -
बदला तो और भी बहुत कुछ
खबर आई की हिंदुस्तान बदला -
- उदय वीर सिंह
3 टिप्पणियां:
सच है, मानसिकता नहीं बदली तो कुछ नहीं बदला।
आपकी पंक्तियों ने आँख नम कर दी, प्रणाम।
वाह !!! बहुत सुंदर रचना,,,क्या बात है
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