बुधवार, 25 सितंबर 2013

जिसको अपना कहा -


जीवन   को  किसी ने मधुर 

किसी    ने     निष्ठुर    कहा -
सलिल   किसी   ने   ज्वाल  
फूल  किसी  ने पत्थर कहा-
-
सागर   किसी   ने  सरिता 
किश्ती किसी ने लहर कहा -
उपवन   किसी  ने  कानन 
गाँव  किसी  ने  शहर कहा-
-
मृत्यु  जीवन   का  गंतव्य    
भंगुर किसी ने  नश्वर कहा -
किसी ने मद किसी ने मधु 
अमृत किसी ने जहर कहा -
-
आत्मा  की    नीड़   किसी ने 
कर्मों   का     दर्पण       कहा  -
प्रतीक्षा   किसी    ने    त्याग  
किसी ने आहुति,अर्पण  कहा  -


देखने का दृष्टिकोण अपना है 
जीवन  तो  अंततः जीवन है 
फ़ानी है छोड़ जाता है आखिर  
जिसको सबने  अपना कहा -


                           उदय वीर सिंह . 

6 टिप्‍पणियां:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बुधवार (25-09-2013) टोपी बुर्के कीमती, सियासती उन्माद ; चर्चा मंच 1379... में "मयंक का कोना" पर भी है!
हिन्दी पखवाड़े की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

Anupama Tripathi ने कहा…

उत्कृष्ट गहन भाव एवं अभिव्यक्ति भी ...!!

Kailash Sharma ने कहा…

देखने का दृष्टिकोण अपना है
जीवन तो अंततः जीवन है
फ़ानी है छोड़ जाता है आखिर
जिसको सबने अपना कहा -

...बिल्कुल सच...बहुत सुन्दर और सटीक प्रस्तुति...

Laxman Bishnoi Lakshya ने कहा…

बहुत सुंदर रचना
जय जय जय घरवाली

Laxman Bishnoi Lakshya ने कहा…

बेहतरीन ...
जय जय जय घरवाली

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

सबका अपना दृष्टिकोण है,
गोल धरा में सब त्रिकोण है।