- आंचल खरीद लेते-
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बिकते अगर जो बादल
बारिश खरीद लेते -
बिकती अगर जो आँखें
काजल खरीद लेते-
शहर से लेकर गाँव
करता रहा तलाश
मिल जाते प्रेम के पांव
पायल खरीद लेते -
पीना शराब छोड़ उदय
कुछ पैसे बचाया कर
ढकने को किसी की आबरू
आंचल खरीद लेते-
रहा प्यास का रकीबपन
होठों से कभी नहीं
जो बिकतीं अगर घटायें
सावन खरीद लेते -
4 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा कल - सोमवार - 07/10/2013 को
अब देश में न आना तुम गाधी
- हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः31 पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें, सादर .... Darshan jangra
बहुत ख़ूब! नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं
नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं
latest post: कुछ एह्सासें !
दमदार अभिव्यक्ति, शुभकामनायें।
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