
अपने नाम तेरा सारा इल्जाम ले लिया -
पूछा किसी ने हमसे तेरा रकीब कौन
आया जुबाँ पहले तेरा नाम ले लिया -
तेरी हसीन गलियां खोया मेरा वजूद
माना सजा को मैंने ईनाम,ले लिया --
रांझे तेरी गलियां सोणी,सूनी कैसे होणी
हीर ने छेड़े गीत पायल तान ले लिया -
मेरा नसीब तूं तेरा साथ मेरा साया
बदले बहार के हमने तूफान ले लिया-
- उदय वीर सिंह
5 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (19-10-2013) "शरदपूर्णिमा आ गयी" (चर्चा मंचःअंक-1403) पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
उम्दा प्रस्तुति |
मेरी नई रचना:- "झारखण्ड की सैर"
बहुत सुन्दर उदय वीर जी |
नई पोस्ट महिषासुर बध (भाग तीन)
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वाह, बहुत खूब।
Nice.
आपका आभार .
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