शुक्रवार, 18 अक्तूबर 2013

तेरा नाम ले लिया -

गलियों  में  तेरी  मैंने  मकान ले लिया
अपने नाम तेरा सारा इल्जाम ले लिया -

पूछा  किसी  ने  हमसे तेरा रकीब कौन
आया  जुबाँ  पहले  तेरा  नाम ले लिया -

तेरी  हसीन  गलियां  खोया मेरा वजूद
माना  सजा  को  मैंने  ईनाम,ले  लिया --

रांझे तेरी गलियां सोणी,सूनी कैसे होणी
हीर ने  छेड़े  गीत  पायल तान ले लिया -

मेरा  नसीब  तूं  तेरा  साथ  मेरा  साया
बदले बहार  के  हमने  तूफान ले लिया-




                                    -  उदय वीर सिंह

4 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

उम्दा प्रस्तुति |

मेरी नई रचना:- "झारखण्ड की सैर"

कालीपद "प्रसाद" ने कहा…

बहुत सुन्दर उदय वीर जी |
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प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

वाह, बहुत खूब।

DR. ANWER JAMAL ने कहा…

Nice.
आपका आभार .