सोमवार, 21 अक्तूबर 2013

राष्ट्र है तो हम हैं...


तुम्हें चिंता है -
धर्म की ,जाति की
समुदाय, अपने फिरके ,कुटुंब की . |
तुम्हें चिंता है -
शुचिता की आडम्बरों की
झूठी शान व परम्पराओं की 
दम तोड़ती बहसी इच्छाओं की ... |
तुम्हें चिंता है- 
क्षेत्रवाद, बंशवाद की,
श्रेष्ठता, आदिम रीत -रीवाज  परलोकवास की ,
सरोकारहीन इतिहास की .. |
क्या राष्ट्र से पहले आते हैं 
ये तेरे फितूर......?
जब भी छुटा राष्ट्र-भाव 
तिरोहित हुआ मान 
सिमटती गयीं सीमाएं 
मिली दासता अपमान 
शायद भूल गया तो याद कर ....|
राष्ट्र है तो हम हैं ,
राष्ट्र के इतर कुछ भी नहीं 
कुछ भी नहीं ...
न हिन्दू 
न मुसलमान ....|

                    -  उदय वीर सिंह 



  

3 टिप्‍पणियां:

कालीपद "प्रसाद" ने कहा…

शायद भूल गया तो याद कर ....|
राष्ट्र है तो हम हैं ,
राष्ट्र के इतर कुछ भी नहीं
कुछ भी नहीं ...
न हिन्दू
न मुसलमान ....|
बहुत खुबसूरत और अर्थपूर्ण पंक्तियाँ हैं
नई पोस्ट महिषासुर बध (भाग तीन)

Neetu Singhal ने कहा…

लोक से राष्ट्र का अस्तित्व है, राष्ट्र से लोक का नहीं.....

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

राष्ट्र सर्वोपरि है..सुन्दर रचना।