तुम्हें चिंता है -
धर्म की ,जाति की
समुदाय, अपने फिरके ,कुटुंब की . |
तुम्हें चिंता है -
शुचिता की आडम्बरों की
झूठी शान व परम्पराओं की
दम तोड़ती बहसी इच्छाओं की ... |
तुम्हें चिंता है-
क्षेत्रवाद, बंशवाद की,
श्रेष्ठता, आदिम रीत -रीवाज परलोकवास की ,
सरोकारहीन इतिहास की .. |
क्या राष्ट्र से पहले आते हैं
ये तेरे फितूर......?
जब भी छुटा राष्ट्र-भाव
तिरोहित हुआ मान
सिमटती गयीं सीमाएं
मिली दासता अपमान
शायद भूल गया तो याद कर ....|
राष्ट्र है तो हम हैं ,
राष्ट्र के इतर कुछ भी नहीं
कुछ भी नहीं ...
न हिन्दू
न मुसलमान ....|
- उदय वीर सिंह
3 टिप्पणियां:
शायद भूल गया तो याद कर ....|
राष्ट्र है तो हम हैं ,
राष्ट्र के इतर कुछ भी नहीं
कुछ भी नहीं ...
न हिन्दू
न मुसलमान ....|
बहुत खुबसूरत और अर्थपूर्ण पंक्तियाँ हैं
नई पोस्ट महिषासुर बध (भाग तीन)
लोक से राष्ट्र का अस्तित्व है, राष्ट्र से लोक का नहीं.....
राष्ट्र सर्वोपरि है..सुन्दर रचना।
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