मंगलवार, 8 अक्तूबर 2013

खंजर छोड़ देना -



जब अभिव्यक्ति को पसीना आये 
कलम तोड़ देना -

जब अभिव्यक्ति ढूंढ़ने लगे  निजामत
शहर छोड़ देना -

जब  करने लगे हिमायत जुल्म की 
अदब  छोड़  देना -

बिके बाजार में सामान की तरह 
यक़ीनन दर  छोड़ देना -

अभिव्यक्ति किश्ती है, डूब जाने का, 
डर छोड़ देना -

अभिव्यक्ति बन जाये हथियार उदय 
खंजर छोड़ देना -

                                               उदय वीर सिंह .

7 टिप्‍पणियां:

Darshan jangra ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा - बुधवार - 09/10/2013 को कहानी: माँ की शक्ति - हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः32 पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें, सादर .... Darshan jangra


डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बुधवार (09-10-2013) होंय सफल तब विज्ञ, सुधारें दुष्ट अधर्मी-चर्चा मंच 1393 में "मयंक का कोना" पर भी है!
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का उपयोग किसी पत्रिका में किया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
शारदेय नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

बेनामी ने कहा…

"जब अभिव्यक्ति को पसीना आये"
बहुत खूब

डॉ सुरेश राय ने कहा…

बहुत सुंदर भाव .....सुंदर रचना ....!!
सुरेश राय
कभी यहाँ भी पधारें और टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें
http://mankamirror.blogspot.in

डॉ सुरेश राय ने कहा…

बहुत सुंदर भाव .....सुंदर रचना ....!!
सुरेश राय
कभी यहाँ भी पधारें और टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें
http://mankamirror.blogspot.in

Unknown ने कहा…

सुंदर भावपूर्ण रचना |

मेरी नई रचना :- मेरी चाहत

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

बड़ा सटीक व स्पष्ट संदेश..