क्या मांगू दाते तुमसे
जो देना तो प्यार मुझे ,
जर्रे को पहचान दिया
जिसका है आभार तुझे -
मेरी रातें दिन मेरे सब
बख्सी दात तुम्हारी हैं
कर पाँउ तेरा वंदन
देना इतना अधिकार मुझे-
खाक तेरे दर की होउं
मेरा भाग्य उदय होगा
जब नाव भंवर में मेरी हो
देना तूं पतवार मुझे -
छोड़ चले कर मेरा मेरे
तेरी मुझे पनाह मिली
तूं दयाल बख्संद पियारा
देना तूं अंकवार मुझे -
क्या मांगू दाते तुमसे ,
जो देना तो प्यार मुझे -
- उदय वीर सिंह
जर्रे को पहचान दिया
जिसका है आभार तुझे -
मेरी रातें दिन मेरे सब
बख्सी दात तुम्हारी हैं
कर पाँउ तेरा वंदन
देना इतना अधिकार मुझे-
खाक तेरे दर की होउं
मेरा भाग्य उदय होगा
जब नाव भंवर में मेरी हो
देना तूं पतवार मुझे -
छोड़ चले कर मेरा मेरे
तेरी मुझे पनाह मिली
तूं दयाल बख्संद पियारा
देना तूं अंकवार मुझे -
क्या मांगू दाते तुमसे ,
जो देना तो प्यार मुझे -
- उदय वीर सिंह
3 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज शुक्रवार (13-12-13) को "मजबूरी गाती है" (चर्चा मंच : अंक-1460) पर भी है!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
nice ji
ईश्वर बस प्रेम बरसा दे, सूखे से इस मन उपवन में।
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