गुरुवार, 2 जनवरी 2014

पत्थर की शिलाओं पर



पत्थर की शिलाओं पर आधार हमारा हो
एक कदम तुम्हारा हो एक कदम हमारा हो -
प्रचंड वेग की धारा में संकल्प विजय का हो 
किश्ती अजेय तुम्हारी हो पतवार हमारा हो-

चिंतन आत्मविवेचन परिवर्तन और समर्पण हो
इक पुल से किनारे मिल जाएँ सहकार हमारा हो
महक उठें हम एक़ उपवन के अद्द्भुत प्रसून
हम विश्व शांति के प्रखर प्रवक्ता संसार हमारा हो-

उदय वीर सिंह

4 टिप्‍पणियां:

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

बहुत खूब सुंदर प्रस्तुति...!
नव वर्ष की हार्दिक बधाई और शुभकामनाए...!
RECENT POST -: नये साल का पहला दिन.

Rakesh Kumar ने कहा…

सुन्दर भाव हृदय को छूते हैं.
प्रेरक प्रस्तुति के लिए आभार उदय जी

नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज शुक्रवार (03-01-2014) को "एक कदम तुम्हारा हो एक कदम हमारा हो" (चर्चा मंच:अंक-1481) पर भी है!
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
ईस्वीय सन् 2014 की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

Pratibha Verma ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति। । नव वर्ष की हार्दिक बधाई।