बुधवार, 5 फ़रवरी 2014

भाया बसंत

गाया बसंत 

आया बसंत, भाया बसंत 
मधुर  राग , गाया बसंत-  

आँगन ने कहा आँचल ने कहा 
सजनी  ने कहा साजन ने कहा-
जड़ चेतन  में राग  मधुर सज  
प्रेम  भरी  मधु  गागर ने कहा- 

किसलय कली महकाया बसंत - 

रस पोरी में  मद  गोरी  में भरा 
नेह  पतंग  संग   डोरी  में भरा-
रंग  रूप  निधि  क्षितिजा संवरी 
तन पीत -प्रसून परिमल से भरा-

अंग -  प्रत्यंग  समाया  अनंग -

अतिशय  अभिनदन  भ्रमरों का 
किस  कली कुसुम की छाँव गहुँ 
मधुमास बसंती  जग मद पसरा
एक  पादप  की  क्या  बात कहूं -

विस्मृत  पल  थे  लाया  बसंत-
किसी देव लोक से आया बसंत -

                             -  उदय वीर सिंह 





5 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

लो आ गया अद्भुत बसंत

Unknown ने कहा…

सुन्दर अभिव्यक्ति

कालीपद "प्रसाद" ने कहा…

बहुत सुन्दर !
New post जापानी शैली तांका में माँ सरस्वती की स्तुति !
सियासत “आप” की !

shashi purwar ने कहा…

waah bahut sundar geet hardik badhai uday ji sundar manbhavan bsanat

virendra sharma ने कहा…

क्या बात है मदन उत्सव का संग्रहणीय राग है यह बस्ट गीत .शैली का माधुर्य अप्रतिम है .