गाया बसंत
आया बसंत, भाया बसंत
मधुर राग , गाया बसंत-
आँगन ने कहा आँचल ने कहा
सजनी ने कहा साजन ने कहा-
जड़ चेतन में राग मधुर सज
प्रेम भरी मधु गागर ने कहा-
किसलय कली महकाया बसंत -
रस पोरी में मद गोरी में भरा
नेह पतंग संग डोरी में भरा-
रंग रूप निधि क्षितिजा संवरी
तन पीत -प्रसून परिमल से भरा-
अंग - प्रत्यंग समाया अनंग -
अतिशय अभिनदन भ्रमरों का
किस कली कुसुम की छाँव गहुँ
मधुमास बसंती जग मद पसरा
एक पादप की क्या बात कहूं -
विस्मृत पल थे लाया बसंत-
किसी देव लोक से आया बसंत -
- उदय वीर सिंह
आया बसंत, भाया बसंत
मधुर राग , गाया बसंत-
आँगन ने कहा आँचल ने कहा
सजनी ने कहा साजन ने कहा-
जड़ चेतन में राग मधुर सज
प्रेम भरी मधु गागर ने कहा-
किसलय कली महकाया बसंत -
रस पोरी में मद गोरी में भरा
नेह पतंग संग डोरी में भरा-
रंग रूप निधि क्षितिजा संवरी
तन पीत -प्रसून परिमल से भरा-
अंग - प्रत्यंग समाया अनंग -
अतिशय अभिनदन भ्रमरों का
किस कली कुसुम की छाँव गहुँ
मधुमास बसंती जग मद पसरा
एक पादप की क्या बात कहूं -
विस्मृत पल थे लाया बसंत-
किसी देव लोक से आया बसंत -
- उदय वीर सिंह
5 टिप्पणियां:
लो आ गया अद्भुत बसंत
सुन्दर अभिव्यक्ति
बहुत सुन्दर !
New post जापानी शैली तांका में माँ सरस्वती की स्तुति !
सियासत “आप” की !
waah bahut sundar geet hardik badhai uday ji sundar manbhavan bsanat
क्या बात है मदन उत्सव का संग्रहणीय राग है यह बस्ट गीत .शैली का माधुर्य अप्रतिम है .
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