भामा शाह बन जाये ...
**
लौट रैली से
उसे होश आया है
कल कबाब और शराब
पाया था ,
अब सल्फास मांग रहा है |
रिस रहा है जख्म
टीस रहा है दर्द
चिल्लाता है -
आखिर किस किस की
जय बोलूं ..?
डेढ़ सौ रुपये में .. |
रोज बदल जाती है सभा
पार्टी नयी,नया नारा ..
मैं नेता नहीं मजूर हूँ
जबान फिसल गयी ,
पार्टी इनकी, नारा उनका हो गया |
मुए ठेकेदार ने मारा,
अपाहिज लाचार हो गया |
पेट खाली
भूखे बच्चे ,बीमार बीबी ,
हस्र जनता हूँ जवान बेटी का |
तंग आ गया हूँ
गलीज जिंदगी से ...
कुटुंब संग उबरना
चाहता हूँ
कोई तो भामा शाह बन जाये ,
मुझे कुछ
दान
देकर ...... |
- उदय वीर सिंह
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लौट रैली से
उसे होश आया है
कल कबाब और शराब
पाया था ,
अब सल्फास मांग रहा है |
रिस रहा है जख्म
टीस रहा है दर्द
चिल्लाता है -
आखिर किस किस की
जय बोलूं ..?
डेढ़ सौ रुपये में .. |
रोज बदल जाती है सभा
पार्टी नयी,नया नारा ..
मैं नेता नहीं मजूर हूँ
जबान फिसल गयी ,
पार्टी इनकी, नारा उनका हो गया |
मुए ठेकेदार ने मारा,
अपाहिज लाचार हो गया |
पेट खाली
भूखे बच्चे ,बीमार बीबी ,
हस्र जनता हूँ जवान बेटी का |
तंग आ गया हूँ
गलीज जिंदगी से ...
कुटुंब संग उबरना
चाहता हूँ
कोई तो भामा शाह बन जाये ,
मुझे कुछ
दान
देकर ...... |
- उदय वीर सिंह
3 टिप्पणियां:
मजबूरियाँ
हट हट दूर हट.....जो खुद भिखमंगे हैं, वो तेरे को क्या देंगे.....
ये कोई भी हों किसी भी जाति के हों किसी भी धर्म के हों..... हैं ये अछूत !!!
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