नारी- सशक्तिकरण दिवस की पूर्व संध्या पर नारी संचेतना के भावों को
बल मिले मेरी शुभकामनाएं ,उन्हें समस्त अवसर व अधिकार प्रदत्त हों
जिससे वो वंचित रही हैं |
*****
नारी अबला नहीं , शक्ति है
पवन है फिजां में बिखर जाने दो -
किसी सल्तनत की बुनियाद होती है
आशियाने में ढल जाने दो -
माँ ,बहन ,बेटी का आकार लेती है
वीरांगना को शिखर जाने दो -
मत सोच कही नारी कमतर है
मुक्त कर उसे उसकी डगर जाने दो -
धरती, गगन ,पाताल की विजेता है-
उसे अब उसके स्वर गाने दो -
संत्राश शाजिशों में उसने बहुत जीया
अवसाद के सागर से उबर जाने दो-
नारी दीपक है गहन अंधेरों का
हटाओ नकाब उसे नजर आने दो -
- उदय वीर सिंह
बल मिले मेरी शुभकामनाएं ,उन्हें समस्त अवसर व अधिकार प्रदत्त हों
जिससे वो वंचित रही हैं |
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नारी अबला नहीं , शक्ति है
पवन है फिजां में बिखर जाने दो -
किसी सल्तनत की बुनियाद होती है
आशियाने में ढल जाने दो -
माँ ,बहन ,बेटी का आकार लेती है
वीरांगना को शिखर जाने दो -
मत सोच कही नारी कमतर है
मुक्त कर उसे उसकी डगर जाने दो -
धरती, गगन ,पाताल की विजेता है-
उसे अब उसके स्वर गाने दो -
संत्राश शाजिशों में उसने बहुत जीया
अवसाद के सागर से उबर जाने दो-
नारी दीपक है गहन अंधेरों का
हटाओ नकाब उसे नजर आने दो -
- उदय वीर सिंह
2 टिप्पणियां:
उनको भी आगे आना है,
सबका साथ निभाना है।
नारी दीपक है गहन अंधेरों का...सुंदर भाव और रचना...
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