महिला दिवस पर मेरी पुस्तक " तनया ' से -
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धरती और आकाश हैं हमारी बेटियां
पिछले जनम का ख्वाब हैं हमारी बेटियां-
अनुत्तरित रहे हर दौर में पूछे गए कभी
हर प्रश्न का जबाब हैं हमारी बेटियां-
दस्तकों के बाद भी, चौखटें बंद मिलती हैं
ले धोती पांव थाली में हमारी बेटियां-
दर्द के गांव में जब स्नेह के पांव जलते हैं
पीपल की छाँव बनती हैं ,हमारी बेटियां -
बज्राघात की पीड़ा जब अपनों से पायी है
उस वक्त की लुक़मान हैं हमारी बेटियां -
आग की सेज सोयी हैं ,वनवास भी देखा
देश धर्म पर कुर्बान हैं हमारी बेटियां -
- उदय वीर सिंह
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धरती और आकाश हैं हमारी बेटियां
पिछले जनम का ख्वाब हैं हमारी बेटियां-
अनुत्तरित रहे हर दौर में पूछे गए कभी
हर प्रश्न का जबाब हैं हमारी बेटियां-
दस्तकों के बाद भी, चौखटें बंद मिलती हैं
ले धोती पांव थाली में हमारी बेटियां-
दर्द के गांव में जब स्नेह के पांव जलते हैं
पीपल की छाँव बनती हैं ,हमारी बेटियां -
बज्राघात की पीड़ा जब अपनों से पायी है
उस वक्त की लुक़मान हैं हमारी बेटियां -
आग की सेज सोयी हैं ,वनवास भी देखा
देश धर्म पर कुर्बान हैं हमारी बेटियां -
- उदय वीर सिंह
2 टिप्पणियां:
बहुत खूबसूरत रचना ।
हम हैं क्योंकि हैं हमारे आस पास हमारी बेटियाँ :)
हमारी बेटियाँ, हमारा गर्व, सदा ही उन्नत रहेगा।
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