शनिवार, 14 जून 2014

रब चाहता हूँ


अदब  में  रहा  हूँ, अदब  चाहता हूँ
रौशन  हों आँखें , मैं  रब चाहता हूँ -

मुबारक तुम्हें हो गुलाबों की दुनियां
काँटों का  गुलशन मैं कब चाहता हूँ-

तू  अमानत  दुआ-ए- दिलों की रहे
सदाये  मोहब्बत  बाअदब चाहता हूँ-


पैगामे - उल्फत पढ़ें  साथ मिलकर    
राहे - रहगुजर,  हमसफ़र चाहता हूँ  -

                        -  उदय वीर सिंह 
    







1 टिप्पणी:

Neetu Singhal ने कहा…

ईमाँ की कलम से ऐ सियाहे-नवीसा..,
बाख़बर जहां भर की खबर चाहता हूँ.....