रविवार, 17 अगस्त 2014

इश्क की रहमत मिली -


इश्क की रहमत मिली वो 
आँखों का  तारा  हो गया -

बख्स दी जींद मांग ली कुछ  
उलफत में गुजारा हो गया -

डूबा  सूरज जब  किसी का 
अधेरा भी  सहारा  हो गया -

दम  यौमें - सिकंदर डूबता है 
दीये   का   उजारा   रह गया-

मांगी जो  उलफत दर - बदर 
वो   पीरे - मुकद्दर   हो   गया -

               - उदय वीर सिंह