रविवार, 24 अगस्त 2014

दर्दों के बोझ में ..


दर्दों  के बोझ में  इजाफ़ा    कीजिये
अस्मिता के मोल पर मुनाफ़ा कीजिये -

आशाओं  के  पंख  पर सपने  संवारे हैं
किया  एतबार , झूठा  वादा  कीजिये -

भरोषे  की  ईंट  से  ईमारत  बनायी है
स्वागत  है आप  का बहाना कीजिये-

खुशियों में  आप  की  निसारेंगे  जिंदगी
भले मेरे गम में आप ,साझा   कीजिये -

                                      - उदय वीर सिंह
  

4 टिप्‍पणियां:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (25-08-2014) को "हमारा वज़ीफ़ा... " { चर्चामंच - 1716 } पर भी होगी।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

सु-मन (Suman Kapoor) ने कहा…

सुंदर प्रस्तुति

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ ने कहा…

बहुत ख़ूब

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ ने कहा…

बहुत ख़ूब