कब तक तूं झूठे फ़साने लिखोगे
मोहब्बत के झूठे बहाने लिखोगे-
मांगी दुआ दर - दीवारों से तेरी
समझ,नाससमझ तूं दीवाने लिखोगे -
जला जिनका जीवन बचाने में तुमको
उन्हें आशिक जूनूनी परवाने लिखोगे -
करोगे फरेबी , फरेबों की बातें
कहीं का कहीं तुम ठिकाने लिखोगे -
परिंदों के मानिंद ठहरोगे तब तक
जब आएगा पतझड़ कहीं जा बसोगे -
उदय वीर सिंह
8 टिप्पणियां:
सुंदर रचना व लेखन , सर धन्यवाद !
I.A.S.I.H - ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
बहुत सुंदर ।
achhi gazal
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (30-08-2014) को "गणपति वन्दन" (चर्चा मंच 1721) पर भी होगी।
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श्रीगणेश चतुर्थी की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत सुंदर रचना।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
सुंदर
सुन्दर प्रस्तुति, अच्छी ग़ज़ल
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