कवि - तुलसी की शाला देखी -
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नील -गगन के स्मृति - वन में
कवि - तुलसी की शाला देखी -
मैथिली शरण की काव्य मंजरी
जनमानस कर रस-हाला देखी -
नक्षत्र - द्वय का प्रकाश- पर्व
आलोकित काव्य - धरा देखी -
काव्य- धरा के साधक -जन के
हाथों जपते में माला देखी-
- उदय वीर सिंह
1 टिप्पणी:
बहुत ख़ूब!
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