न बनो मेरी वेदना के स्वर
मुझे मौन रहने दो -
खामोशियों में तेरे शब्द गूंजते हैं
निहितार्थ सुनने दो -
तुम्हें जरुरत होगी अक्षय पियूष की
मुझे गरल पिने दो -
पीड़ा बन गयी है मेरी पैरहन उदय
उन्हीं के साथ रहने दो -
आज खाली है दामन उसकी उलफत से
यादों के संग रो लेने दो -
मुझे बहुत रंज है अपनी नाफरमानी का
उसे कहने दो मुझे सुनने दो -
- उदय वीर सिंह
मुझे मौन रहने दो -
खामोशियों में तेरे शब्द गूंजते हैं
निहितार्थ सुनने दो -
तुम्हें जरुरत होगी अक्षय पियूष की
मुझे गरल पिने दो -
पीड़ा बन गयी है मेरी पैरहन उदय
उन्हीं के साथ रहने दो -
आज खाली है दामन उसकी उलफत से
यादों के संग रो लेने दो -
मुझे बहुत रंज है अपनी नाफरमानी का
उसे कहने दो मुझे सुनने दो -
- उदय वीर सिंह
3 टिप्पणियां:
रचना अच्छी लगी ।
वाह...।
बहुत सुन्दर।
सुन्दर रचना...
एक टिप्पणी भेजें