रविवार, 21 सितंबर 2014

जिंदगी के हर मोड़ पर ऐ दोस्त

मिलती है हर किसी से वफ़ा का ख्वाब लेकर ,    
ये मालूम है जफ़ा करेगी ,
मोहब्बत फिर भी है तुमसे जिंदगी-
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ये करवटों जैसी नहीं है के बदल ली जाये
एक बार  ही लेती है आगोश मे    
अफ़साने  हजार  लेकर   जिंदगी -
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 जिंदगी के हर मोड़ पर ऐ दोस्त 
जमात-ए-रकीब पाया 
एक तेरा ही साया मुक़द्दस जो अपने  करीब पाया   -
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मैंने जब जब देखा शिवाले की तरफ 
कसम ओ  वादे आये 
जब भी देखा घर की तरफ माँ बहुत याद आई ... 
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5 टिप्‍पणियां:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (22-09-2014) को "जिसकी तारीफ की वो खुदा हो गया" (चर्चा मंच 1744) पर भी होगी।
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चर्चा मंच के सभी पाठकों को
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

आशीष अवस्थी ने कहा…

सुंदर रचना , आ. धन्यवाद !
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आपकी इस रचना का लिंक दिनांकः 23 . 9 . 2014 दिन मंगलवार को I.A.S.I.H पोस्ट्स न्यूज़ पर दिया गया है , कृपया पधारें धन्यवाद !

राजीव उपाध्याय ने कहा…

बहुत ही सुन्दर रचना।

राजीव उपाध्याय ने कहा…

"ये करवटों जैसी नहीं है के बदल ली जाये
एक बार ही लेती है आगोश मे" क्या खुब कहा आपने जैसे कोई फसाना हो हकीकत बयाँ कर रहा हो और एक हकीकत कोई फसाना। बहुत खुब्।

Unknown ने कहा…

Sunder abhivykti behad !!