एक दीप जलाने के लिए -
अंधेरा न पूछता है
कभी घर आने के लिए -
कौन होगा अधेरी रात
मंजिल ले जाने के लिए-
दीये नूर हैं रब के
इल्मों ईमा लाने के लिए -
ये रौशन रहे तूफानों में
हर दामन हो इसे बचाने के लिए -
ये बुलंदियों को रास्ता देगा
जरूरत है जमाने के लिए -
1 टिप्पणी:
कहीँ स्याही से जंग कहीँ हवाओं से जिहाद..,
ऐ चराग़े-सहर तेरी हिम्मत को है दाद.....
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