आँधियाँ दे गईं ,तूफानों का नजराना
की बेड़ी डूबती है -
की बेड़ी डूबती है -
मजधार में मुसाफिर पतवार भी बेगाना
की बेड़ी डूबती है -
है माझी नशे में चूर मददगार है जमाना
की बेड़ी डूबती है -
शाहिल कट गए हैं ,मौजें हैं कतिलाना
की बेड़ी डूबती है -
कागज की नाव पंछी, चाहे है पार जाना
की बेड़ी डूबती है -
हौसलों की कब्र साथ ले चाहे है आजमाना
की बेड़ी डूबती है -
उदय वीर सिंह
2 टिप्पणियां:
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (08-12-2014) को "FDI की जरुरत भारत को नही है" (चर्चा-1821) पर भी होगी।
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सभी पाठकों को हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
bahut umda...
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