शुक्रवार, 31 जनवरी 2014

पीयूष की प्रत्याशा में,

खुल जाये आँचल दर्द भरा,सीता रहा हूँ मैं
पीयूष  की प्रत्याशा में,विष   पीता रहा  हूँ मैं -
हर शब् की सहर होती है इतना तो यकीन है 
ले रौशनी की आश अंधेरों में जीता रहा हूँ मैं -

 कुछ अदावत रही  पैरों से पत्थरों की यक़ीनन
ले   जख्म   गहरे  पांव  सफ़र   करता  रहा हूँ मैं-
फुर्सत    मिली  कहीं  बैठ कर रो लूँ हालात पर
अश्कों  की  तरह आँखों से बस ढलता रहा हूँ मैं

ये जान  कर  भी ,मधुमास    चला  जायेगा
उँगलियों   पर  आने  के  दिन  गिनता रहा हूँ मैं-
उदय   मालूम   नहीं  परदेसी   का  पता  हमको
स्नेह   की   पाती  फिर  भी  लिखता  रहा हूँ मैं -


                                                                                -  उदय  वीर सिंह

बुधवार, 29 जनवरी 2014

बयान दर्ज है -

मित्रों ! कोलम्बो [श्रीलंका ]से वापसी के बाद आप से रुबरु हूँ |
मधुर स्वप्निल यादों को समेटे आठवें विश्व हिंदी सम्मेलन की सफलता के लिए प्रायोजकों, हिंदी- सेवियों , भारत सरकार अवं अन्य चेतनशील भाषा विज्ञों का बहुत बहुत आभार ,एवं बधाईयां |
मेरी प्रतीक्षित काव्य श्रंखला में पुस्तक " मधु पर्ण " का विमोचन मेरे लिए सौभाग्य का विषय है |,श्री लंका में भारतीय राजदूत माननीय विनोद पी हँसकमल द्वारा विमोचन व हिंदी के ख्यातिलव्ध विद्वान श्री खगेन्द्र ठाकुर द्वारा " पद्मश्री मुकुटधर पाण्डेय सम्मान " प्राप्त कर स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ ,इसका श्रेय
आप सभी सुधि मित्रों पाठकों व शुभचिंतकों को जाता है ,हृदय की गहराईयों से आप सबका आभार व्यक्त करता हूँ |
बहा लोगे अश्क तो क्या दर्द का
सिलसिला ख़त्म हो जायेगा -
बहाते हैं सियासतदां अक्सर ,क्या राह
उनकी चल पायेगा -
***

अपने घर के उजाले  को कम न करो
मेरे  घर  का  अँधेरा  बढ़ाओ  नहीं-
दो कदम प्यार के चल सको  तो चलो 
कुफ्र  के  रास्ते  आजमाओ  नहीं  
कल सवेरा यकीनन  तो होगा  उदय 
बदले दीप  के घर जलाओ  नहीं -
तेरे  शहरों  में  सावन  बरसता  रहे 
मेरी  गलियों  में सहरा बसाओ नहीं - 

- उदय वीर सिंह

मंगलवार, 14 जनवरी 2014

आयी लोड़ी आयी ....

आयी लोड़ी आयी ....

लोड़ी की समस्त देशवासियों को लख-लख बधाईयां ..वक्त है धी -पुत्तर
दोनों की लोड़ी मनाने की ,दोनों को यश गौरव ,ऐश्वर्य, स्वस्थ ,
दीर्घायु जीवन परमात्मा बख्से -
****
जले
शोलों में लोड़ी के,
संताप, क्लेश ,व्याधि, विपन्नता,
मलिनता, अवसाद .
तिरोहित हो वेदना
अग्नि-पुंज |
खुले सफलताओं के
प्रखर विशाल द्वार ,
पूरी हो बहन की
अरदास |
भाई भी मनाये लोड़ी बहन की
मांगे दुआ
लम्बी उम्र की ,
खुशहाली की .... |
प्रशस्त हो मार्ग
शिखर के ,
गूंजे गीत लोई की मंगल
कामना के .... |

                               उदय वीर सिंह

मंगलवार, 7 जनवरी 2014

वाह ! वाह ! गोबिंद सिंह आपे गुरु चेला


प्रिय देशवासियों ! दसवें पातशाह गुरु गोबिंद सिंह जी के 348 वें प्रकाश पर्व पर
 आप सबको लख- लख बधाईयां  व प्यार  -
****
         सिक्खी आश देती है भरोष देती है 
            जुल्म के खिलाफ आक्रोस देती है- 
              जब भी माँगा है वतन ने कौम ने 
                 देती   है   तो  सरफ़रोश  देती  है -
****
गुरु पिता के बारे में किसने क्या कहा -[ एक नजर दस्तावेजों से ]
बुल्ले शाह-
       न कहूं अबकी ,न कहूं तबकी
        गर न होते गुरु गोबिंद सिंह
         सुन्नत होती सबकी -
अल्ला यार खान -
           इंसाफ गर करे जो जमाना तो यकीन है
             कह देगा के गोबिंद  का कोई सानी नहीं है -
अब्दुल तुरानी [ औरंगजेब का जासूस ]-
               बादशाह सावधान हो जाईये ,गुरु गोबिंद सिंह ईश्वर का जिवंत रूप है ,उसके विरुद्ध होना ख़ुदा  के विरुद्ध होना है .....

मोहमद लतीफ़ [hisotrian ]-
    Guru Gobind Singh  was  great  as a
 person ,greater as a soldier and  as a  philosopher he  was second  to non ....
 किबरिया खान [कवि ] -
             क्या दसमेश पिता तेरी बात कहूं
                 जो  तूने  परोपकार किये -
                  एक खालस खालसा पंथ सजा
                       जातों  के  भेद  निकाल दिए-
पीर भीखम शाह [दरवेश]-
    पटना [bihar ] की तरफ रुख करके  अपनी नमाज    
   पढते रहे ,यह घोषित कर के की मेरा साईं पटना में अवतरित हो गया है  ...
स्वामी विवेकानंद 
     हमारी नस्ल का महान गौरवशाली नायक ......
लार्ड कनिंघन [इंगलैंड]-
   ....The  lowest  of the  lowly became equal  to  the  highest  of  the  higher  caste .
स्वामी महेश्वरा नन्द -
     गुरु गोबिंद सिंह जी ने ,एक सिख में ब्राम्हण क्षत्रिय  वैश्य ,शुद्र की सभी शक्तियों[ गुणों ] को समाहित कर दिया ......
W .M .Gregor -
        guru  gobind  singh  affected    a  total  reform  in  the  religion  manners  and  habbits  of the  sikhs .......
F . Pincott .-
    God  was  speaking  in  guru ....
पंडित मदन मोहन मालवीय -

प्रत्येक हिन्दू परिवार को अपने  एक सदस्य को  गुरु गोबिंद सिंह के सिंह के रूप में परिवर्तित करना होगा ...

K  .M  .पणिक्कर -
महान गुरु ने  'आदि ग्रन्थ 'को जीवित गुरु के रूप में स्थापित कर सर्वयापी  गुरु का रूप दिया ...
Sir   William Warburt -
     खालसा तर्कों व् नैतिक मूल्यों के शिखिर मानदंडों पर आधारित है ..
डॉ.राजेंद्र प्रसाद [प्रथम राष्ट्रपति ]-
सिख गुरु महान युग प्रवर्तक व् राष्ट्र नायक हैं जिनके अंदर किसी के प्रति  कोई पूर्वाग्रह नहीं है ...

डॉ  राधा कृषणन -
     गुरु साहिबान अनंत समय के लिए ज्योति स्वरुप
 मनुष्यता के दूत  हैं ....
बिल क्लिंटन [ एक्स प्रेसिडेंट ऑफ़ अमेरिका ]-
जब हैम  मनुष्य प्रजाति में खोजते है तो पाते हैंकी गुरुओं का  जीवन  और उपदेश समस्त मानव जाति के लिए एक सामान व् पारदर्शी था ,जो अद्भत है ..
दलाई लामा - [धार्मिक गुरु]
गुरु साहिबान अपनी अद्वितीय छबि के कारन आसमान के अप्रतिम तारों के बिच अप्रतिम तारे हैं ...
रबिन्द्र नाथ टैगोर-
गुरु की शबद जोति प्रशंसनीय और अप्रतिम है ..
W .Charchil  [ex P .M .England ]  -
    The superior religion  based  on  suprim social  vaues ...
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जर्रे को आफताब बनाए वाले तेरी जरुरत है 
ढूंढते हैं नैन मेरे ज्योति वाले तेरी जरुरत है 
पंथ की राह में  सरबंस लुटाने वाले तेरी जरुरत है 
तेरे दर के हम सवाली  बाजां वाले तेरी जरुरत है -

                      वाहे गुरु जी दा  खालसा 
                         वाहे गुरु जी दी फ़तेह ....
 
                                      - उदय वीर सिंह



शनिवार, 4 जनवरी 2014

दिल्ली और देश



प्राथमिकताएं
देश की
रोटी कपड़ा मकान
शिक्षा सुरक्षा स्वास्थ्य
स्वच्छ जल ,हर हाथ को काम
दिल्ली  की
बिजली, पानी
सुसज्जित नगर, होटेल मोटेल
उच्च शिक्षण संस्थान
मेट्रो, वातानुकूलित बस, यान .....
दिल्ली के बने सपने
देश में बिकते हैं
खेत की फसल
दिल्ली से काटी जाती है
पकती है गांव में ,
रोटी दिल्ली में खायी जाती है
रमुआ अपनी झोपड़ में बिलबिलाता है
पियूष धाय संग खिलखिलाता है
दवाओं दुआओं के आलिशान
आसरे में जीता है
रमुआ ,दो बूंद
जिंदगी के पीता है
फिर भी  कुपोषण से
अपाहिज सी जिंदगी जीता है
तन बिकता है
कालाहांडी में भी
दिल्ली में भी ...
एक में पीड़ा एक में उत्सव है
यह निर्धारण तो होना ही चाहिए
क्या देश में दिल्ली है
या दिल्ली में देश है ....
या हमारी सोच
अपंग
या अशेष है .....
                 
                   उदय वीर सिंह

गुरुवार, 2 जनवरी 2014

पत्थर की शिलाओं पर



पत्थर की शिलाओं पर आधार हमारा हो
एक कदम तुम्हारा हो एक कदम हमारा हो -
प्रचंड वेग की धारा में संकल्प विजय का हो 
किश्ती अजेय तुम्हारी हो पतवार हमारा हो-

चिंतन आत्मविवेचन परिवर्तन और समर्पण हो
इक पुल से किनारे मिल जाएँ सहकार हमारा हो
महक उठें हम एक़ उपवन के अद्द्भुत प्रसून
हम विश्व शांति के प्रखर प्रवक्ता संसार हमारा हो-

उदय वीर सिंह