हमने हर नजर, हर शख्श हर बज़्म
हर नज्म को अच्छा कहा -
गुजर गया, जो जा रहा अपने सफर
हर मुसाफिर को अच्छा कहा -
ढ़ो लिया वजन अपने साथ ही औरों का
समझदारों ने बच्चा कहा -
सच बोलता रहा ताउम्र ,झूठ ही माना गया
जब किया फरेब सबने सच्चा कहा -
जमाने की बात है जमाने से पूछिए ,
शराफत को जफा कहा ,कभी वफ़ा कहा -
उदय वीर सिंह
हर नज्म को अच्छा कहा -
गुजर गया, जो जा रहा अपने सफर
हर मुसाफिर को अच्छा कहा -
ढ़ो लिया वजन अपने साथ ही औरों का
समझदारों ने बच्चा कहा -
सच बोलता रहा ताउम्र ,झूठ ही माना गया
जब किया फरेब सबने सच्चा कहा -
जमाने की बात है जमाने से पूछिए ,
शराफत को जफा कहा ,कभी वफ़ा कहा -
उदय वीर सिंह
1 टिप्पणी:
सार्थक प्रस्तुति।
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (01-02-2015) को "जिन्दगी की जंग में" (चर्चा-1876) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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