ऐ दिल में रहने वाले तेरा वलिदान ऊँचा है
तेरे इंकलाव की लौ ,पिघल गए पत्थर भी
न भूल सकते हम कभी, हिंदुस्तान ऊँचा है-
तू नहीं है फिर भी रहबर है हमारी राहों में
किसी पाक किताब से तेरा पैगाम ऊँचा है -
तूनें कहा था हस्ती न रहेगी सितमगर तेरा
हर सूरत में किसी शैतान से इंसान ऊँचा है -
उदय वीर सिंह
1 टिप्पणी:
सुन्दर !!
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