मंगलवार, 10 फ़रवरी 2015

नीरहीन क्षितिजा कब होती-

नीरहीन क्षितिजा कब होती-
दिनमान बृहद, ढकता कैसे
घन - बादल के छा जाने से
नीरहीन क्षितिजा कब होती 
कहीं मरुधर के बन जाने से -
***
नीरवता  समृद्ध  कब  कैसे
कोकिल के चुप हो जाने से
कब  कोलाहल  अमर हुआ
तूफान .तड़ित आ आने से -
***
गति हृदय की ठहरी कब
बज्र ,घातों , संघातों से
अत्र - तत्र बिखरा भंगुर हो
परिमल प्रसून आघातों से -
***
सद्द-ग्रंथ प्रवीण झूठे कैसे
कुतर्कों कथ्य प्रमाणों से
जीवन झूठा कहते वंचक
जीवन अवधि के जाने से -
***
उपवन अस्तित्व नहीं खोता
ज्वाल कभी आ जाने से
बिछड़े को बिसराना होता
बसता चमन ऋतु आने से -
***
उदय वीर सिंह

3 टिप्‍पणियां:

Vilhelm man ने कहा…

A beautiful and relaxing week!
Images Animated Gif

रविकर ने कहा…

आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (11-02-2015) को चर्चा मंच 1886 पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
सादर...!

Pratibha Verma ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति।