भारत भूमि को देखो वादियों की नजर
हमने देखा बहुत दूसरों की तरफ -
सोणे पाँवों में सजती महावर रहे
हम भी सोचें सफाई व्यवस्था की तरफ -
मलिनता बीजती है अकथ व्याधियाँ
स्वर उठाएँ चलो आपदा की तरफ -
स्वच्छ भारत रहे स्वस्थ भारत रहे
समर्पित हों इसकी महत्ता की तरफ -
हर गली गाँव अपना शहर स्वच्छ हो
खूबसूरत लगे दंत कथा की तरह -
उदय वीर सिंह
2 टिप्पणियां:
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (09-03-2015) को "मेरी कहानी,...आँखों में पानी" { चर्चा अंक-1912 } पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
लाजवाब रचना।
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