रविवार, 26 अप्रैल 2015

त्रासदी -

- त्रासदी -
तूँ मौत के हो हमसफर
हमें जिंदगी से प्यार है -
तुम सृजन के दैत्य द्रोही
सृजन मेरा संस्कार है -
मौत के आगोश में भी
जिंदगी पलती रही है
तोड़कर पाषाण को भी
जिंदगी बसती रही है-
हम गीत से हैं नेह रखते
तुम्हें रुदन से सरोकार है -
गुल रहे गुलशन रहे
हँसती धरा ,चमन रहे
शिकश्त देती मौत को
जिंदगी का फन रहे -
तुम दरिंदगी का फलसफा
हमें सृजन से प्यार है -
तुम दर्द को बोते रहे
खुशी मेरा व्यापार है -
उदय वीर सिंह

कोई टिप्पणी नहीं: