मुहिम [ नशा मुक्ति ]
- सयाने लोग -
दो विभिन्न दिशाओं से चल धर्मपुर खुर्द तिराहे पर अजायब सिंह जी व सतनाम सिंह जी की संयोग वस हुई मुलाक़ात जहा से दोनों ही एक रास्ते के लिए तिराहे से रुखसत हुए । शाम का सुहाना मौसम गुलाबी ठंढ ,बातों का सिलसिला यूं ही चल निकला दोनों ही अपने गांवों के लंबरदार जो ठहरे । चलते चलते पिंड समाज धर्म पर बातें होती रहीं फिर सामयिक राजनीति पर आ गयी । बाते घोटालों से शुरू हो नशे पर केन्द्रित हुई । नशा नौजवानों को अपनी गिरफ्त में ले रहा है नशा मुक्ति पर किसी का ध्यान नहीं है । सरकारों का भी । सतनामम सिंह ने चिंता भरे उच्छवास भरे ।
अजायब सिंह - आप बहुत भोले हैं सतनाम सिंह जी ।
सतनाम सिंह - आप को कैसे मालूम जी ।
अजायब सिंह - आप नशा जो नहीं करते हैं जी ।
सतनाम सिंह - नशा न करना कोई बुराई है जी ?
अजायब सिंह - अजी मैं कैसे कहूँ आप बुरा मान जाएंगे ।
सतनाम सिंह - मैं क्यों कर बुरा मन्नण लगा ।
अजायब सिंह - सारी दुनियाँ कह रही है जी ।
सतनाम सिंह - कौन कह रहा है जी कहाँ कह रहा है जी ।
अजायब सिंह - वीरे ! दुनियां दी छड्ड संसद के वासिंदे सांसद कह रहे हैं ।
सतनाम सिंह - वो ऐसा कह रहे हैं , वो तो जनता के नुमायिन्दे हैं । सयाने लोग है जी ।
अजायब सिंह - यही तो ! वे इसका व्यापार करते हैं ,वो सयाने लोग हैं । इसमें फायदा है
सतनाम सिंह - क्या फायदे के लिए .....कुछ भी .....
अजायब सिंह - इसी लिए आप भोले हैं ....नशे से सेहत से मुक्ति , धन से मुक्ति ,ईमानदारी से ,मुक्ति सदाचार से
मुक्ति ,कर्तव्यों से मुक्ति ,परिवार से मुक्ति,समाज से मुक्ति शीघ्र ही जीवन से भी ...... क्या समझे सतनाम सिंह जी ।
सतनाम सिंह - तो हूण तुसी वी सयाने हो गए जी ?आश्चर्य मिश्रित शब्दों सतनाम सिंह जी में बोले ।
उदय वीर सिंह
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