आधार स्तम्भ सृजन कर लो
जीवन -मृत्यु अनुवंध खुले हैं
वांछित क्या है चयन कर लो -
पथ पथरीले कंटक सज्जित
कुसुम -डार विस्थापित होगी
गंतव्य, मंचस्थ ऊंचे ठावों में
स्व अधिपत्य का प्रण कर लो -
मधुवंती का वर स्नेह न होगा
दिवस न देंगे शुभ-अवसर को
तप्त -ज्वाल का वर्षण होगा
हिमवर्षण में भी गमन कर लो -
उदय वीर सिंह
1 टिप्पणी:
बहुत सुंदर भावनायें और शब्द भी ...बेह्तरीन अभिव्यक्ति
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