अपने गुनाहों का ,हिसाब दे न पाये हम
उतना ही बाकी है ,जितना चुकाए हम -
जो भी मिला जैसे मिला करता सवाल ही
चादर उधड़ती रही जितनी बीन पाये हम -
लक्षमन रेखाएँ टूटी कसमों के तार भी
जीवन की खातीर मौत से निभाए हम -
वफा जो मुकर्रर खता हर बार हम करेंगे
डूबती निगाहों को अपनी दे आए हम -
रिश्तों ने छोड़ा घन आई घनी शाम जब
उम्मीदों का दीवा राह उनकी जलाए हम -
मोहब्बत है पाक उतनी जन्नत नहीं है
तुमने कही न कही अपनी सुनाये हम -
सहरा या वादियाँ वो बिसरीं न वीथियाँ
याद उतनी आयीं ,जितनी भुलाए हम -
गमों ने हमारा साथ दिल से निभाया है
उतने ही आए आँसू जितना खिखिलाए हम
उदय वीर सिंह
उतना ही बाकी है ,जितना चुकाए हम -
जो भी मिला जैसे मिला करता सवाल ही
चादर उधड़ती रही जितनी बीन पाये हम -
लक्षमन रेखाएँ टूटी कसमों के तार भी
जीवन की खातीर मौत से निभाए हम -
वफा जो मुकर्रर खता हर बार हम करेंगे
डूबती निगाहों को अपनी दे आए हम -
रिश्तों ने छोड़ा घन आई घनी शाम जब
उम्मीदों का दीवा राह उनकी जलाए हम -
मोहब्बत है पाक उतनी जन्नत नहीं है
तुमने कही न कही अपनी सुनाये हम -
सहरा या वादियाँ वो बिसरीं न वीथियाँ
याद उतनी आयीं ,जितनी भुलाए हम -
गमों ने हमारा साथ दिल से निभाया है
उतने ही आए आँसू जितना खिखिलाए हम
उदय वीर सिंह
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