परिचय मेरा कोई विशेष नहीं है
भारत के सिवा मेरा देश नहीं है -
रहो अमन से ,मुझे भी रहने दो
तुमसे मेरा कोई विद्वेष नहीं है -
दे चुका हूँ संकल्प मे अपना शीश
वलि निहितार्थ कुछ शेष नहीं है -
अक्षुण्ण रहेगी ,मेरी मातृ -भूमि
जीवन का कोई और उद्देश्य नहीं है
संस्कारों का दीप कभी बुझता नहीं
माँ भारती का रूप स्मृति-शेष नहीं है -
कालजयी होने की अभिलाषा नहीं
सेवादार हूँ इतर इसके संदेश नहीं है -
उदय वीर सिंह
भारत के सिवा मेरा देश नहीं है -
रहो अमन से ,मुझे भी रहने दो
तुमसे मेरा कोई विद्वेष नहीं है -
दे चुका हूँ संकल्प मे अपना शीश
वलि निहितार्थ कुछ शेष नहीं है -
अक्षुण्ण रहेगी ,मेरी मातृ -भूमि
जीवन का कोई और उद्देश्य नहीं है
संस्कारों का दीप कभी बुझता नहीं
माँ भारती का रूप स्मृति-शेष नहीं है -
कालजयी होने की अभिलाषा नहीं
सेवादार हूँ इतर इसके संदेश नहीं है -
उदय वीर सिंह
4 टिप्पणियां:
नमन श्र्द्धा सहित नमन इस भाव को, एस एहसास को, इस समर्पण और प्यास को ....
नमन श्र्द्धा सहित नमन इस भाव को, एस एहसास को, इस समर्पण और प्यास को ....
सुन्दर
इस सुंदर भावना के लिए आपको शत शत प्रणाम.
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